जो सही है वो सही है,
जो नहीं है वो नहीं है|
नाचूं तेरे डमरू पे तो मेरी वाह-वाही है,
रत्ती भर जो आह करूँ तो मेरी शामत आई है|
उबली उबली अंगारों सी,
सुलगे उझड़े अरमानों सी,
बेबस फिर भी आस पे ज़िन्दा,
सुन ये आँखें क्या कहें!
बूँद बूँद कर बहती जाती,
ज़ुल्म बेपरवाह सहती जाती,
पिंजरे की चिड़िया के जैसी
फिर ज़िन्दगी क्या रहे!