धूप और छांव की,
दरिया और नाँव की,
दरिया और नाँव की,
रिश्तेदारियां आज
बस ये कहें,
खिलती धूप किरनें
बाद में हैं जिसके,
बाद में हैं जिसके,
अंधेरें बा-अदब
वो रोशन रहें |
काले में जितना सा
श्वेत है बसा हुआ,
श्वेत है बसा हुआ,
है सफेद में उतना ही
श्याम भी फंसा हुआ |
मिल जाये दोनों जो
बीच रास्ते कहीं
बीच रास्ते कहीं
खो देंगे पहचानें
अपनी तभी वहीं |
एक है, तो दूसरे का
परचम ऊंचा रहे |
चीर के जो निकले तो
तीर बन के निकले तू,
तीर बन के निकले तू,
अंधेरें बा-अदब
वो रोशन रहें |
Photo Credit: jplenio